कैसे हुई कलियुग की शुरुवात और कब होगा इसका अन्त
दोस्तो कलियुग की शुरुआत कैसे हुई ?हिंदू पुराणों में चतुर्युग यानी चार युगों का वर्णन मिलता है सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, और कलियुग यह देवताओं के 12000 दिव्य वर्षों के समान होता है, समस्त चतुर्युग एक समान होते है सतयुग से शुरू होकर कलयुग में अंत होता हैं !हिंदू मान्यताओं और पुराणों के अनुसार पृथ्वी पर अभी कल युग चल रहा है ! इस युग के बारे में पहले से ही लिखा है, कि कलयुग में पाप बहुत बढ़ जाएंगे और लोग धर्म के रास्ते से भटक जाएंगे ! चारों तरफ अधर्म फैल जाएगा और उस समय भगवान विष्णु के दसवे अवतार कल्कि धरती पर अवतरित होंगे और अपने देवदत्त घोड़े पर सवार होकर पाप का सर्वनाश करेंगे।
पुराणों में यह भी लिखा है, कि कलयुग में मनुष्य का जीवन काल बहुत छोटा हो जाएगा ! वह युवावस्था से पहले ही मृत्यु को प्राप्त होने लगेंगे !मनुष्य की उम्र सिर्फ 20 वर्ष की रह जाएगी !जबकि पहले के युग में मनुष्य 500 सालों से भी ज्यादा जीवित रहते थे।
लेकिन कब शुर हुआ कलयुग और कैसे होगा इसका अंत ? यह बहुत ही कम लोग जानते हैं ! इसके अलावा भी कलयुग से जुड़ी कई मान्यताएं और पौराणिक घटनाएं हैं ।
भारत के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक आर्यभटिया में लिखा है; कि जब उनकी उम्र 24 साल की थी तब कलयुग का 3650साल चल रहा था ! आंकड़ों के अनुसार आर्यभट्ट का जन्म 476 भी ईस्वी में हुआ था ! और गणना के अनुसार कलयुग का आरंभ 3102 ईसा पूर्व हो चुका था ! !इसके अलावा ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार इस समय कल युग चल रहा है ! जैसे कि कलयुग के लिए लिखा गया है वैसे ही होने लगा है!
धरती पर अधर्म खेलना शुरू हो चुका है ! एक इंसान को दूसरे इंसान पर भरोसा ही नहीं रहा ! इंसान मोह माया के चक्कर में इतना जकड़ चुका है ;उसे दान धर्म और ईश्वर भक्ति का समय ही नहीं मिलता है ! शायद इसीलिए इसे कलयुग कहते हैं
कलयुग के आरंभ से जुड़ी एक और कहानी है !
उसके अनुसार जब महाभारत के युद्ध में पांडवों कौरवों को हरा दिया था और राजपाट संभाल लिया था ! तब कुछ ही समय बाद उन्हें आभास हो गया था कि संसार में कुछ नहीं रखा है ! सारे भाई अपनी सत्ता त्याग कर पत्नी द्रौपदी के साथ स्वर्ग के लिए निकल पड़े थे ! उन्होंने अपना सारा राज्य राजा परीक्षित को सौंप दिया था !माना जाता है कि इस से धरती पर कलयुगने अपने पैर जमाने शुरू कर दिए थे !
राजा परीक्षित बहुत ही धार्मिक राजा थे ! उन्होंने अपने राज्य में चारों और धर्म का प्रचार प्रसार किया ! वह इतने दयालु थे; कि किसी भी मांगने वाले को खाली हाथ नहीं भेजते थे !कलयुग उनके पास बार-बार आकर धरती में रहने के लिए अनुमति माँगने लगा ! राजा परीक्षित ने उसे जगह देने की हां कर दी ! लेकिन एक शर्त रखी कि वह सिर्फ उसी मन में रह पाएगा जिसमें अधर्म होगा ! जो सिर्फ लालच,हवस और नफरतसे भरा होगा !
कलयुग बहुत ही चालाक था ! उसने शर्त स्वीकार कर लिया और समय के साथ बड़ी चालाकी से राजा परीक्षित के मन में ही स्थान बना लिया ! कुछ समय बाद राजा परीक्षित कालसर्प दोष के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गए ! इस तरह कलयुग ने धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू करदिया !
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जब कलयुग को धरती पर 5000 साल हो जाएंगे, तो गंगा नदी सूख जाएगी ! जब 10000 साल होंगे; तो धरती पर रहने वाले सभी देवी देवता वापस अपनी भूमि पर लौट आएंगे ! मनुष्य पूजा-पाठ व्रत छोड़ देंगे! चारों और अधर्म फैल जाएगा ! धरती बंजर हो जाएगी और अन्न पैदा करना बंद कर देगी, गाय दूध देना बंद कर देगी! पति पत्नी से पिता-पुत्र से हर कोई एक दूसरे से झूठ बोलेगा ! सत्य दुर्लभ हो जाएगा !बहन बेटियां घर में भी सुरक्षित नहीं होंगी !
गुरुओं का सम्मान करने की परंपरा नहीं रहेगी ! ब्राह्मणों का ज्ञान समाप्त हो जाएगा ! क्षत्रिय अपना साहस को खो देंगे! वैश्य अपना व्यवसाय बेईमानी से करने लगगे ! भागवत पुराण में लिखा है, कि कलयुग में प्रजा को चलाने वाले तो उनका खूब शोषण करेंगे ही प्रजा भी आपस में एक दूसरे को पीड़ा देगी !अंततः सब के सब नष्ट हो जाएंगे !
उसके बाद जब कलयुग का अंत समय आने वाला होगा; तब एक बहुत मोटी धारा के साथ वर्षा होगी और पूरी पृथ्वी पानी से भर जाएगी !बहुत ही डरावना नजारा होगा ! सभी प्राणियों का अंत हो जाएगा ! उसके बाद अंतरिक्ष में 12 सूरज एक साथ उदय होंगे ! धरती पर भरा पूरा पानी सूख जाएगा ! और फिर से नया जीवन पनपने लगेगा ! मान्यता है कि कलयुग में पाप का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु के 10 वीं अवतार कल्कि धरती पर आएंगे ! मात्र 3 दिन में ही सभी पापियों का नाश कर देंगे ! यह भी माना जाता है सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी में जन्म लेंगे और संभल के स्थान पर बिश्नुयासा नाम के व्यक्ति के घर पैदा होंगे !
कलयुग का अंत कब तक होगा ?
पुराणों के अनुसार पृथ्वी के वासियों का एक साल देवताओं के 1 दिन रात के बराबर होता है !जिसमें उत्तरायण दिन और दक्षिणायन रात कहा जाता है !एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति तक की अवधि को 101 महीना कहा जाता है !और यह 12 सौर महीने एक सौर वर्ष के बराबर होता है ! जो देवताओं के लिए 1 दिन और रात के समान होता है!
पुराणों के अनुसार सतयुग 4800 दिव्य वर्ष का था !त्रेतायुग 3600 दिव्य वर्ष का था !द्वापर युग 2400 दिव्य वर्ष का था और कलयुग 1200 दिव्य वर्ष यानी कि 432016 ईयर के बराबर होगा ! इस गणना के अनुसार अभी कलयुग को शुरू हुए लगभग 5000 या 6000 साल हो गए हैं ! अभी चार लाख से ज्यादा वर्ष बाकी हैं !
तो इस प्रकार से भले ही हम हमारे जीवन काल में कलयुग का अंत होते हुए नहीं देख पाएंगे; लेकिन हम कलयुग के अंत की ओर बढ़ने का हिस्सा है ! पुराणों में यह भी कहा गया है !विनाश से मनुष्य को सिर्फ हरि कीर्तन और धर्म के रास्ते पर चलना ही बचा सकता है !
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