क्या सच में नागलोक है? आइए जानते हैं!
दोस्तो हिंदू धर्म ग्रंथों में कई पौराणिक कथाएं पढ़ने और सुनने को मिलती है। इन्हीं में से एक नागलोक की कथा है। बताया जाता है कि धरती पर एक ऐसी जगह है जहां आज भी नाग यानि सर्प लोक मौजूद है। इस स्थान पर काले रंग का एक सांप शिव जी की पहरेदारी करता है। इसका महाभारत काल से संबंध है।
छत्तीस गढ़ के जंगलों से घिरा जशपुर का यह तपकरा क्षेत्र आज भी अविकसित है। आदिवासियों की संख्या यहां अधिक पाई जाती है। वे जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन करते हैं।
इन जंगलों के बीच से होकर ईव नदी बहती है जिसके एक छोर पर शिव मंदिर है और दूसरे छोर पर एक गुफा का द्वार है। जिसे स्थानीय लोग 'पाताल गेट' के नाम से जानते हैं।
इस गुफा के द्वार पर बड़ी सी चट्टान होने के कारण इस गुफा का द्वार बंद रहता है। लोगों का कहना है कि इस गुफा के अंदर जो भी गया वह जीवित नहीं लौटा। इस मंदिर के संबंध में अनेक कथाएं स्थानीय लोगों द्वारा कही जाती हैं।
प्राचीन कथा
जशपुर क्षेत्र को प्राचीन दंडकारण्य का हिस्सा माना जाता है। यहां रावण की बहन शुर्पनखा का राज चलता था। वे शिव भक्त होने के कारण यहां भगवान शिव की पूजा करती थी वही पर 'चिरैय्या डाड़' नामक स्थान प वनवास काल के दौरान भगवान श्रीरामचंद्रजी माता सीता के साथ इसी मंदिर में पूजा अर्चना हेतु आते थे।
माना जाता है कि तब पाताल द्वार से नागराज आकर भक्तों की रक्षा करते थे। इस स्थल से भगवान श्रीरामचंद्र जी के गमन के बाद भी नाग इस द्वार पर पहरा देते थे।
लोक मान्यता
लोक मान्यता अनुसार द्वापर युग में जब भीम छोटे थे तब दुर्योधन ने षड़यंत्र कर धोखे से उन्हें जहरीली खीर खिला दी थी। इसके बाद मरनासन्न भीम को नदी में बहा दिया गया।
मृत अवस्था में वह बहते बहते ईव नदी में आ गया। यहां पर नदी में स्नान कर रही नाग कन्याओं की नजर उन पर पड़ी। इन्होंने नागलोक ले जाकर इलाज के बाद भीम को नई जिंदगी मिली।तब से नाग लोक का दरवाजा बंद कर दिया गया।
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