नेपाल के कुछ धार्मिक स्थल

नेपाल एक बहुत ही खूबसूरत देश है। यहां के प्राकृतिक नजारे देखना तो अद्भुत है। पोखरा, काठमांडू, नगरकोट, भक्तपुर, सागरमथ नेशनल पार्क, चितवन नेशनल पार्क, जनकपुर, लुम्बिनी आदि कई जगहे हैं जहां आपको हिमालय के दर्शन के साथ ही झील, सरोवर और जंगल के दर्शन भी होंगे। यहां पर्यटन के लिए कई हिल स्टेशन भी हैं जहां जाकर आपका मन रोमांचित हो जाएगा। आओ जानते हैं यहां के प्रमुख 15 धार्मिक स्थलों की संक्षिप्त जानकारी। पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू : विश्व में दो पशुपतिनाथ मंदिर प्रसिद्ध है एक नेपाल के काठमांडू का और दूसरा भारत के मंदसौर का। दोनों ही मंदिर में मुर्तियां समान आकृति वाली है। नेपाल का मंदिर बागमती नदी के किनारे काठमांडू में स्थित है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। यह मंदिर भव्य है और यहां पर देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। केदारनाथ और पशुपतिनाथ मंदिर के दोनों ज्योतिर्लिंग मिलकर ही पूर्ण ज्योतिर्लिंग बनता है।
जानकी मंदिर, जनकपुर : रामायण काल में मिथिला के राजा जनक थे। उनकी राजधानी का नाम जनकपुर है। जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह नेपाल की राजधानी काठमांडू से 400 किलोमीटर दक्षिण पूरब में बसा है। यह शहर भगवान राम की ससुराल के रूप में विख्यात है। इस नगर में ही माता सीता ने अपना बचपन बिताया था। कहते हैं कि यहीं पर उनका विवाह भी हुआ। विवाह पंचमी के अवसर पर लोग अक्सर इस मंदिर में आते हैं। कहते हैं कि भगवान राम ने इसी जगह पर शिव धनुष तोड़ा था। यहां मौजूद एक पत्थर के टुकड़े को उसी धनुष का अवशेष कहा जाता है। यहां धनुषा नाम से विवाह मंडप स्‍थित है इसी में विवाह पंचमी के दिन पूरी रीति-रिवाज से राम-जानकी का विवाह किया जाता है।
महामाया गुजरेश्वरी शक्तिपीठ, काठमांडू : नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के निकट स्‍थित है गुजरेश्वरी मंदिर जहां माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे। इसकी शक्ति है महशिरा (महामाया) और भैरव को कपाली कहते हैं। वैसे इसका सही नाम है गुह्येश्वरी। पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के दूसरी तरफ स्थित इस मंदिर में विराजमान देवी नेपाल की अधिष्ठात्री देवी के रूप मे पूजी जाती है। गंडकी मुक्तिनाथ मंदिर : नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर, जहां माता का मस्तक या गंडस्थल अर्थात कनपटी गिरी थी। इसकी शक्ति है गण्डकी चण्डी और शिव या भैरव चक्रपाणि हैं। इस शक्तिपीठ में सती के "दक्षिणगण्ड" (कपोल) का पतन हुआ था। यह मंदिर पोखरा से 125 किलोमीटर दूर है।
मिथिला- उमा (महादेवी शक्तिपीठ) : इस शक्तिपीठ को 3 स्थानों पर माना जाता है। पहला उग्रतारा मंदिर, सहरसा बिहार, दूसरा जयमंगला देवी मंदिर समस्तीपुर, बिहार और तीसरा वनदुर्गा मंदिर जनकपुर नेपाल। इसमें से नेपाल की मान्यता ज्यादा है। भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को महोदर कहते हैं। नेपाल के जनकपुर से 15 किलोमीटर पूर्व की ओर मधुबनी के उत्तर पश्चिम में उच्चैठ नामक स्थान का वनदुर्गा मंदिर है यही मुख्‍य शक्तिपीठ है।
पवित्र काली गंडकी नदी : अधिकतर शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ, काली गण्डकी नदी के तट पर पाया जाता है। 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं जिनमें से 24 प्रकार को विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना गया है। माना जाता है कि ये सभी 24 शालिग्राम वर्ष की 24 एकादशी व्रत से संबंधित हैं। इस नदी को साक्षात विष्णु का रूप ही माना जाता है। चांगुनारायण मंदिर : यह मन्दिर काठमांडू से 8 मील दूर भक्तपुर स्थान पर स्थित है। भक्तपुर में कई शानदार हिन्दू मंदिर है जो वास्तुकला के लिए जग प्रसिद्ध है। आपको यहां बहुत-से मंदिर दिखेंगे और यहां के बाजार से आप अद्भुत वस्तुएं खरीद सकते हैं। भक्तपुर को भक्तों का शहर भी कहा जाता है। भूकंप से इस शहर में भारी तबाही हुई थी। चांगुनारायण मंदिर प्राचीन मंदिर नेपाल के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है जिसमें विष्णु भगवान के साथ शेषनाग की प्रतिमा विराजमान है। यह नेपाल का सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 4वीं शताब्दी में किया गया था और 1702 ई. में इस मंदिर का निर्माण फिर से किया गया था। इसे यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में जगह दी गई है। बुद्ध का जन्म स्थान : भगवान गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। उनकी माता कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी जब अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो उन्होंने रास्ते में लुम्बिनी वन में दो साल वृक्षों के नीचे बुद्ध को जन्म दिया। कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास उस काल में लुम्बिनी वन हुआ करता था।
स्वायंभुनाथ (बंदर मंदिर) : यह स्थान भी बौद्ध धर्म का केंद्र है। इस मंदिर के कुछ हिस्सों में बंदरों के निवास की वजह से इस मंदिर को मंकी टेम्पल के रूप में भी जाना-जाता है। स्वायंभुनाथ बौधनाथ मंदिर काठमांडू के पश्चिम में एक पहाड़ी की चोटी पर करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्वयंभू स्तूप, भगवान की आंखों से चित्रित इस मंदिर परिसर का सबसे मुख्य आकर्षण है। बुदानिकंथा : यह काठमांडू से 8 किलोमीटर दूर शिवपुरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। यहां एक प्राकृतिक पानी के सोते के ऊपर 11 नागों की सर्पिलाकार कुंडली में भगवान विष्णु विराजमान हैं।
मनकामना : यह मन्दिर काठमांडू से 105 किलोमीटर की दूरी पर गोरखा मे स्थित है। यहां एक किसान ने गलती से एक पत्थर पर चोट मार दी थी जिसके चलते उस पत्थर से रक्त और दूध निकलने लगा। बाद में यहां लोगों ने देवी की स्थापना कर मंदिर बना दिया। इस मंदिर में आने वाले उभी लोगों की मनोकामना पूर्ण होती जिसके हथेली पे दूध गिरती है इसीलिए इसका नाम मनकामना मंदिर है।

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